
रेकी का इतिहास
रेकी का इतिहास पुरातन एवं विशाल है। कई पड़ावों से हो कर रेकी आज हमारे तक पहुँची है। कई महान व्यक्तियों ने रेकी के इतिहास में अपना अहम योगदान दिया है। डाः मिकाउ उसुई आधुनिक रेकी के जनक थे। उनका जन्म 15 अगस्त 1865 को गिफु जापान में हुआ था। उनका देहांत 9 मार्च 1926 को फुकुयामा हिरोशिमा में हुआ। उनके आरम्भिक जीवन के बारे ज्यादा जानaकरी उपल्बध नही हैए पर यह बताया जाता है कि आप एक ईसाई मिशनरी थे। अपनी जीवन चर्या में उनके सामने यह प्रश्न आया कि हमारे ईश्वरीय महापुरुषों की स्पर्श शक्ति इतनी अधिक थी कि हर बीमार को स्पर्श शक्ति के द्वारा ठीक कर देते थे। बाद में यह विधि विलुप्त हो गई।
इस प्रश्न की खोज में डाः मिकाउ उसुई ने गहन छानबीन की और पता लगाया की यह रहस्य की जानकारी बोद्धीयों के पास है। उनकी कामना की समझ यहा से ही पता लग जाती है कि उन्होंने लगातार अपने जीवन के 28 साल इस तथ्य की खोज में लगा दिए। उन्होंने चीनी एवं संस्कृत भाषा के अध्ययन द्वारा प्राचीन सुत्रों का गहन अभ्यास किया। इस सिलसिले में उनका यन मत में आना जाना हुआ। वे सदा इस प्रश्न से परेशान रहे की आखिर महात्मा बुद्धए प्रभु ईसा मसीह किस प्रकार स्पर्श मात्र से रोगी को रोग मुक्त कैसे कर देते थे घ् वह चीनए भारत और अन्य कई देशों की यात्रा करने के बाद वापिस जापान चले गए। अन्त में एक बार जब वे किउटो शहर के नजदीक स्थित पवित्र पहाड़ी कुरामा पर ध्यान मगन थे तो उनको इस ज्ञान की प्राप्ति हुईए उन्होंने न सिर्फ इस स्पर्श विधि को प्राप्त किया बल्कि इस विधि को रेकी के रुप में स्थापित भी किया और लाखों करोड़ों के दुख दूर किए। इस खोज की बदौलत ही उनको सतकार स्वरुप डाक्टर कहा जाता है।
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